देखो आज शांत देश की आवाम है,
हर गली मोहल्ला इस कदर गुमनाम है।
पर अब गौर करो ज़रा इन चिड़ियों की चहचहाहट पर,
क्योंकि कैद में नहीं हो तुम बस कुछ वक्त का आराम है।।
देखो कैसे आज वह प्रकृति, वह फूल वापस जा खिले हैं,
कैसे वह पक्षी आसमान से आज फिर जा मिले हैं,
चलो आज ज़िंदगी के कुछ पल इनके नाम करदें,
और खोल दे इनके वह बंदिश के धागे जो अब तक इंसान ने सिले हैं।।
देखो आज इस दौर को, इन मुश्किल हालातों को,
सुरक्षित रहो घर पर और याद रखो इन बातों को।
यह वक्त है एकता का, वाहदानियत का सबर का,
ताकि रोज सुबह देखो नया सूरज, और चांद, आने वाली रातों को।।
देखो इन योद्धाओं को जो तुम्हारी हिफ़ाज़त के लिए अपनी जान बिछाए हैं,
कद्र करो इनकी, जो तुम्हें महफ़ूज़ रखने को अपना घर पीछे छोड़ आए हैं।
आओ आज सलाम करते हैं दिल से इन फरिश्तों को हम,
जो ज़िंदगी और मौत के खेल में बहादुरी का परचम लहराए हैं।।
देखो जहां पली हैं खुशियां हमेशा, आज वहां सन्नाटा सरेआम है,
पर ज़िंदगी रुकी नहीं है, बस एक छोटा सा अल्पविराम है।
आओ आज मिलकर निहारे दुनिया के सौंदर्य को हम,
क्योंकी कैद में नहीं हो तुम, बस कुछ वक्त का आराम है।।